ना छेड़ मुझ को ख़्वाब में तेरी दुनियां से अब दूर हूं। नहीं चाह ज़ाम-ए-इश्क की मैं नशे-गम में चूर हूं। तुझे पा के भी ना पा सका तुझे दोष दूं भी तो कैसे दूं जो न लग सका तेरी मांग में मैं वो बद-नसीब सिंदुर हूं। कभी तेरा दिल मेरे पास था और मेरा घर तेरी आंख थी जो टूट कर बिखर गया मैं वो तेरी आंख का नूर हूं। अब आखिरी सुन इल्तिज़ा ना याद आ ना याद कर जो होके खुद ही मिट गया वो प्यार का मैं शुरूर हूं....। ©Lovely Sony® #life® #sad #dil_ki_Awaz #Dil_ki_baat_Shayri_ke_sath