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*।❤। हरि ऊँ तत्सत ।❤।* नोट:- ये सब बातें किसी ग्र

*।❤। हरि ऊँ तत्सत ।❤।*

नोट:- ये सब बातें किसी ग्रन्थ, किताब, पुस्तक में नहीं मिलेगी। 

1-  *हे माँ, क्या हम सभी परमाँत्माँ के व्यापार के शिकार हैं ?*

2- *जन्म से सुनता आया हूँ कि पूरा संसार, उस परमपिता परमाँत्माँ, परमशक्ति, आदि शक्ति के अधीन है*। (सत्य)

3- *लेकिन वह आदिशक्ति मंत्रों के अधीन है, (असत्य)
4- *एवं मंत्र पंडितों के अधीन है। (व्यापारिक सत्य)

5- *इसमें किसी पर भी टीका टिप्पणी न करते हुए, व यह कहना का अधिकार सर्वदा सुरक्षित एवं संरक्षित करते हुए, स्पष्ट कहना चाहूंगा कि ऐसा कहने व समझने व फैलाने वाले- सदैव से भ्रमित थे, सदैव ही भ्रमित हैं, व सर्वदा भ्रमित ही रहेंगे*

6- *यह सम्पूर्ण जगत परमाँत्माधीन है, विग्यान के समस्त कार्य-कलाप व अन्वेषण परमात्मा के अधीन हैं, यह आदि व परम शक्ति, समय व काल, गणना से परे का तत्व है, इन सबसे पहले की उपस्थिति व अनुभूति है*

7- *आदि-परम शक्ति को विग्यान की परख नलियों, लम्बी-लम्बी दूरबीनों एंव सेटेलाईट्स से नहीं आंका, देखा, या समझा जा सकता हैं, यह विग्यान के अध्ययन क्षेत्र से बाहर का तत्व है*

8- *संसार की हर वह चीज जो उपस्थित तो है, अनुभव होती है, लेकिन देखी नहीं जा सकती वह परमाँत्माँ से सम्बन्धित है*

9- *जिस प्रकार- प्रेम, सत्य, शीतलता, वायु, आकाश, स्वाद, आनन्द, ताप, भूख, प्यास, दया, भाव, विचार, अनुभूति, संवेदना, आस्था, विश्वास, आनन्द, सुख, सन्तोष, श्रवण, स्पर्श, महक, दृष्टि, प्रमाण जैसे तत्वों को न तो कभी भी देखा गया है, नाहीं विग्यान इन्हें कभी साक्षात् कर सकता है, व ना हीं कभी प्रमाणित कर सकेगा*

*आदि शक्ति द्वारा सर्वप्रथम 03 तत्वों की उत्पति की गयी है, जिसे *ऊँ* नामक *शक्ति संकेत* से समझा जा सकता है, इसके उपरान्त *ऊँ* से फिर दो 02 तत्वों की उत्पति हुई है, कुल मिलाकर 05 तत्व उत्पन्न किए गये हैं, इन्हीं पंचतत्वों से हर चीज का भौतिक व प्रमाणिकता का अस्तित्व विद्यमान है*
।। धन्यवाद।। 

             ।❤। जै माँ ।❤। 
        jvs9366@gmail.com परमाँत्माँ, विग्यान से बाहर की खोज।
*।❤। हरि ऊँ तत्सत ।❤।*

नोट:- ये सब बातें किसी ग्रन्थ, किताब, पुस्तक में नहीं मिलेगी। 

1-  *हे माँ, क्या हम सभी परमाँत्माँ के व्यापार के शिकार हैं ?*

2- *जन्म से सुनता आया हूँ कि पूरा संसार, उस परमपिता परमाँत्माँ, परमशक्ति, आदि शक्ति के अधीन है*। (सत्य)

3- *लेकिन वह आदिशक्ति मंत्रों के अधीन है, (असत्य)
4- *एवं मंत्र पंडितों के अधीन है। (व्यापारिक सत्य)

5- *इसमें किसी पर भी टीका टिप्पणी न करते हुए, व यह कहना का अधिकार सर्वदा सुरक्षित एवं संरक्षित करते हुए, स्पष्ट कहना चाहूंगा कि ऐसा कहने व समझने व फैलाने वाले- सदैव से भ्रमित थे, सदैव ही भ्रमित हैं, व सर्वदा भ्रमित ही रहेंगे*

6- *यह सम्पूर्ण जगत परमाँत्माधीन है, विग्यान के समस्त कार्य-कलाप व अन्वेषण परमात्मा के अधीन हैं, यह आदि व परम शक्ति, समय व काल, गणना से परे का तत्व है, इन सबसे पहले की उपस्थिति व अनुभूति है*

7- *आदि-परम शक्ति को विग्यान की परख नलियों, लम्बी-लम्बी दूरबीनों एंव सेटेलाईट्स से नहीं आंका, देखा, या समझा जा सकता हैं, यह विग्यान के अध्ययन क्षेत्र से बाहर का तत्व है*

8- *संसार की हर वह चीज जो उपस्थित तो है, अनुभव होती है, लेकिन देखी नहीं जा सकती वह परमाँत्माँ से सम्बन्धित है*

9- *जिस प्रकार- प्रेम, सत्य, शीतलता, वायु, आकाश, स्वाद, आनन्द, ताप, भूख, प्यास, दया, भाव, विचार, अनुभूति, संवेदना, आस्था, विश्वास, आनन्द, सुख, सन्तोष, श्रवण, स्पर्श, महक, दृष्टि, प्रमाण जैसे तत्वों को न तो कभी भी देखा गया है, नाहीं विग्यान इन्हें कभी साक्षात् कर सकता है, व ना हीं कभी प्रमाणित कर सकेगा*

*आदि शक्ति द्वारा सर्वप्रथम 03 तत्वों की उत्पति की गयी है, जिसे *ऊँ* नामक *शक्ति संकेत* से समझा जा सकता है, इसके उपरान्त *ऊँ* से फिर दो 02 तत्वों की उत्पति हुई है, कुल मिलाकर 05 तत्व उत्पन्न किए गये हैं, इन्हीं पंचतत्वों से हर चीज का भौतिक व प्रमाणिकता का अस्तित्व विद्यमान है*
।। धन्यवाद।। 

             ।❤। जै माँ ।❤। 
        jvs9366@gmail.com परमाँत्माँ, विग्यान से बाहर की खोज।
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JVS RAWAT

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