मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं हम.... फिर रावण दहन कैसे हम कर सकते हैं.... अपने मन की ईर्षा, द्वेष, घृणा, अहंकार, बिना मिटाए हर साल उस रावण को दोषी कह कर उससे उसकी उसी गलती की दुहाई देकर जिसकी सज़ा वो पा चुका है.... क्यूँ हम उससे जलाते हैं.... करना ये सवाल ख़ुद से जो हम करते हैं... और कहते हैं... सच्चाई और अच्छाई की विजय क्या ये हम खुद के साथ फ़िर अपनाते हैं.... आप सभी को विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाएँ। रावण के पुतले का दहन तो बहुत सरल है किंतु (दशहरा - दश का हरण) अत्यधिक कठिन कार्य है। #दशहरा #विजयदशमी #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi