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उनमें से एक ख़्वाब पढ़-लिख कर साहब बनने का था माँ ने

उनमें से एक ख़्वाब
पढ़-लिख कर साहब बनने का था
माँ ने सजाये जो सपने उन्हें पूरा करने का था
पर आ गया किस राह पर किसी की दुआओं से
अब पेट भरने दो जून की रोटी जुटाने का ख़्याल है
मैं हूँ क्यों बोझ-सा इस जहाँ में यही मलाल है
माँ बस तड़पती देखती मेरी
खेलने की उम्र में बड़ा हो गया मेरा लाल है..! OPEN FOR COLLAB✨ #ATमेरेख़्वाब • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️

On this World Day Against Child Labour, write a thought-provoking piece.✨ 

Transliteration: 
Mere bhi kai khwaab the 
(I too had several dreams)
उनमें से एक ख़्वाब
पढ़-लिख कर साहब बनने का था
माँ ने सजाये जो सपने उन्हें पूरा करने का था
पर आ गया किस राह पर किसी की दुआओं से
अब पेट भरने दो जून की रोटी जुटाने का ख़्याल है
मैं हूँ क्यों बोझ-सा इस जहाँ में यही मलाल है
माँ बस तड़पती देखती मेरी
खेलने की उम्र में बड़ा हो गया मेरा लाल है..! OPEN FOR COLLAB✨ #ATमेरेख़्वाब • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ♥️

On this World Day Against Child Labour, write a thought-provoking piece.✨ 

Transliteration: 
Mere bhi kai khwaab the 
(I too had several dreams)