वो चंद लफ्ज़ जो तुम कह न पाए न जाने कब से इंतजार कर रही हूं वो सुनने को, हां मैं नहीं हूं तुम जैसी गहरे सागर सी, मुझे बहना पसंद है, हर बात तुम्हें कहना पसंद है। मैं नहीं हूं तुम जैसी गहरे सागर सी।। मैं नहीं हूं तुम जैसी बंद किताब सी, मैं तो वो आज़ाद पन्ना हूं जो फड़फड़ा उठता है हवा के हल्के झोंके से, और दिखा जाता है अंदर लिखा हर हर्फ़ , मैं नहीं हूं तुम जैसी बंद किताब सी।। PC:- Google. #poetry #yqdidi #life #randomthoughts #loneliness #journal