जब तक मंजिल नही मिलती तब तक श्रोता बने रहिए। मंजिल मिलने के बाद आपको सुनने वाले आ जाएंगे, लेकिन आप कुछ भी नहीं बोलेंगे, क्योंकि श्रोता बनने का लाभ आपको पता चल जाएगा। जितना सुनाओगे उतना मंजिल से दुर होते जाओगे।