कोई ऐसा सत्य या सच जो तुम सामने वाले को बताना चाहते हो और कुछ देर उससे बात करने पर तुम्हें ऐसा लगने लग जाता है,कि वह भी उस बात को उस सच को जानता है,समझता है। तो क्या उससे और बात करना चाहिए या नहीं? लेकिन ऐसा होता ही क्यों है,कि वह आपकी बात को मानता ही नहीं है। क्योंकि ऐसा इसलिए है क्योंकि उस व्यक्ति की नजरों में आप की वैल्यू बिल्कुल जीरो होती है..... ओर वह व्यक्ति आपके मुंह से उस सत्य को सुनना ही नहीं चाहता है।क्योंकि उसकी नजरों में आपकी कोई भी अहमियत नहीं है जनाब अब मैं इस बात को साबित करना चाहता हूं। मुश्किल नहीं है बहुत आसान है,कुछ इस तरह से। 👉 Fjc