मानव की गाडी मानव की गाडी जीवन पथ पर दौड रही है कुचल रही जो सामने आए पिछड गया उसे छोड रही है रिस्ते नाते अब किसको भाते सब जंजीरें तोड रही है मानव की गाडी जीवन पथ पर दौड रही है ।। झूठ - फरेब का फूले धन्धा सच्चे का भई धन्धा मन्दा आँख भी है पर फिर भी अन्धा अन्यायी घुमते हैं खुलेआम सच्चे के लिए फाँसी का फंदा अब तो कुछ बतलाओ यारो क्या गलत और क्या सही है जो सामने है - क्या सच नहीं है ? मानव की गाडी जीवन पथ पर दौड रही है ।। मानव - मित्र - भाईचारा पैसे ने सब कुछ विसारा धूँवा - रोली मची हुई है शर्मो - हया कहाँ मची हुई है कैसा ये खुशियों का पिटारा जो कुछ है अजी पास हमारे सब से नाता तोड रही है मानव की गाडी जीवन पथ पर दौड रही है ।। ©Sushil Patial manav ki gadi #Goodevening