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gazal- *अपनी सखि के नाम* ग़ज़ल-सखि तुम जो मिली लब

gazal- *अपनी सखि के नाम* ग़ज़ल-सखि तुम जो मिली लब पे मुस्कान है ,जैसे सूखे चमन को नमी है मिली! ज़िंदगी का जो गुल मेरा मुरझा रहा थोड़ी, ख़ुशबू के संग ताज़गी है मिली।।##@NOJOTO##

gazal- *अपनी सखि के नाम* ग़ज़ल-सखि तुम जो मिली लब पे मुस्कान है ,जैसे सूखे चमन को नमी है मिली! ज़िंदगी का जो गुल मेरा मुरझा रहा थोड़ी, ख़ुशबू के संग ताज़गी है मिली।।##@NOJOTO##

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