#OpenPoetry वो कोयल अब ना कूकेगी कर्कश सा अब दोनों सदन होगा। इस जहाँ से तेरी रुखसती भारतीय राजनीति के युग में मधुर भाषा का समापन होगा। - क्रांति #शुष्मा