पता नहीं किस और ले जा रही है जिंदगी. ना डुबने देती है ना किनारा दिखाती है. कोई बतादे उस गम को कुछ सहुलियत हमें भी मिले. हम उसके रोजके खरीददार हैं ✍️विजय. सहुलियत