।।पर अब उससे तुझे क्या।। है मेरी मोहब्बत मुझमें जिन्दा पर अब उससे तुझे क्या ? है कही इन्तजार तेरे आने का पर अब उससे तुझे क्या ? किस गुनाह की मागु माफी जरा ये तो बात जो गेरो के लबो से मिले है पर अब उससे तुझे क्या खेर अब ये सब बताने से क्या ऐसी नफरत बसा लिए हो जब आपने दिल मे ।। तो तेरी सफ़ाई का क्या मेरा होना ना होना पर अब उससे तुझे क्या? मुखतालक मुलाकात याद आती है तुझे ।।। मुझे ओ सोने नही देती पर अब उससे तुझे क्या ? सारा वक्खत खुद को दोसी मानता रहा की एक बार तू तो मुझसे तो पूछे गी. पर गिड़गिड़ा के समझाने में क्या छोर मेरी जान अब ना जान मुझे इतना करीब से।। पर अब उससे तुझे क्या what u think this lines ...to comment me