वो चांद आज फिर आसमां में निकल आया, जिसकी एक झलक को दिल ने खुद में समाया, ना जाने कैसी अमावास की उस पर पड़ी छाया, जिसने आखों से ओझल कर दी थी उसकी काया, एक बार फिर शकून है,इस दिल ने अब पाया, जिसके लिए कितने वक्त से ये तरसता आया, एक बार फिर ये वक़्त है इस मन को भाया, एक बार फिर से मन में नव एहसास जगाया । ©Dayal "दीप, Goswami.. #ये_एहसास