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खिले खिले से जनाब नज़र आते हैं इतने हसीन हैं कि गुल

खिले खिले से जनाब नज़र आते हैं
इतने हसीन हैं कि गुलाब नज़र आते हैं

है रौशनी कोई उनके किरदार में ग़ज़ब की
सुबहो शाम आफ़ताब नज़र आते हैं

होगी ना कहीं भी ऐसी इमारत कहीं दुनिया में
शोखियों के मालिक हैं वो नायाब नज़र आते हैं

रखना चाहता हूँ जिसे उम्रभर अपने तकिए के नीचे
बार बार पढ़ी जाए वो ऐसी किताब नज़र आते हैं

कुछ तो बात है उनमें जो बहकाती है कदम मेरे
लबों में उनके जाम हैं वो शराब नज़र आते हैं॥

©Satyapal Singh
  #shayri ayri