ख़ामोश निगाहें ठहरे अश्क़… हाथ से सब कुछ छूटा है… दिल तेरा भी क्यों टूटा है… क्यो लबों पर पहरा है… उतरा हुआ हसीं चेहरा है… मन भी रूठा-रूठा है… दिल तेरा भी क्यों टूटा है… आईना भी करे मजहका… घर बिखरा है तिनका-तिनका… वजूद भी टूटा-फूटा है… दिल तेरा भी क्यों टूटा है… कह दो अहल-ए-दिल अपना… टूट गया है जो कोई सपना… पहन लिया क्यों मुखौटा है… दिल तेरा भी क्यों टूटा है… ♥️ मुख्य प्रतियोगिता-1109 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।