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माँ कंकालकाली भजन मातु तव चरण-शरण सुखम












माँ कंकालकाली

भजन
मातु तव चरण-शरण सुखमूल।
युग पद महँ वर नूपुर राजै तनु पर दिव्य दुकूल।।
शरण गहत विमले वरदायिनि भाग्य होइ अनुकूल।
नामु कृशानु शिवे भवभंजनि जारत कल्मष तूल।।
जपहिं सतत जे"जय श्रीदुर्गे" ते पावहिं नहिं शूल।
भक्तन्ह कहँ कोउ क्रोध दृष्टि से लखहिं कबहुँ नहिं भूल।।
करुणामयि परमेश्वरि तुम कहँ अर्पहुँ मानस फूल।
भगवती बनारसी पर कबहुँक परै न दुख की धूल।।

©Ramkinkar sharma
  रचयिता बनारसी"दास"
edited by ramkinkar sharma

रचयिता बनारसी"दास" edited by ramkinkar sharma #Motivational

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