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आरथी पर रोने वाले यूंही नहीं रोते कभी हमने उन्हें

आरथी पर रोने वाले यूंही नहीं रोते
कभी हमने उन्हें बेहिसाब हसाया होता हैं
टूटकर भी चाहने वाले हमे
यूंही नहीं चाहते
बेपनहा कभी हमने भी उन्हें चाहा होता हैं
हसकर थोडे से गम यूंही बहा देते हैं हम
रो कर बस ओ हमे विदा करें
इस हद तक मोहब्बत करते हैं हम
सफर मंज़िल का बीच में ही क्यूं ना छूट गया हो हमसे
खुदा करे अगले जनम मंज़िल का हर एक रास्ता होकर गुज़रे उनसे ख्वाहिश बस रह जाएगी
आरथी पर रोने वाले यूंही नहीं रोते
कभी हमने उन्हें बेहिसाब हसाया होता हैं
टूटकर भी चाहने वाले हमे
यूंही नहीं चाहते
बेपनहा कभी हमने भी उन्हें चाहा होता हैं
हसकर थोडे से गम यूंही बहा देते हैं हम
रो कर बस ओ हमे विदा करें
इस हद तक मोहब्बत करते हैं हम
सफर मंज़िल का बीच में ही क्यूं ना छूट गया हो हमसे
खुदा करे अगले जनम मंज़िल का हर एक रास्ता होकर गुज़रे उनसे ख्वाहिश बस रह जाएगी
sumitmagar8047

Sumit Mgr

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