धर्म धर्म का नाश हुआ है, अधर्म अधर्म ही पास हुआ है, जो कुकर्मी चुगल खोर हो, वही सबका खास हुआ है, दिन प्रतिदिन वो यही मनावे, यह कैसा रास हुआ है, सबकी चुगली हम ही करी, हम पर सबका विश्वाश हुआ है, अगला राजा हम ही बनिबा, ऐसा अंध विश्वास हुआ है, सत्य अभी है शान्त रे पगले, अन्त सत्य ही खास हुआ है, अभी वक्त सही नहीं है, इसलिए तू पास हुआ है, जो कुकर्मी चुगल खोर है, वही सबका खास.........! कुकर्मी चुगल खोर......!