कैद थी एक नन्ही चिड़ियां सोचती रही कभी तो उड़ पाऊंगी बड़ी होंगी तो पिंजरा तोड़ पाऊंगी ख़बर कहां थी उसे आसमां उसका नहीं पंख फड़फड़ाती रही, पिंजरे से टकराती रही आवाज़ गले में दबी, पंख छिले, घुटन में हर रोज़ पल-पल मरती रही बगावत की आग दिल में जलती रही रोज़ आसमां को देख उस से मिलने को तरसती रही उम्र दिन ब दिन बढ़ती गई, उड़ने की चाहत खत्म होती रही वक्त और हालात की आंधी उसके खिलाफ़ चलती रही वो बंदिशों में कैद दिल के सारे अरमां दबाए सांस लेती रही कुछ कहानियों को शायद आज़ादी कभी मिलती नहीं धीरे-धीरे ये ख्याल अब वो समझने लगी @deepalidp ©Deepali dp #deepalidp #mojzamiracle #rahaterooh #Freedom #Struggle