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ग़ज़ल: #JusticeForTwinkle काम नहीं होता गर तो एक क

ग़ज़ल: #JusticeForTwinkle
काम नहीं होता गर तो एक काम कीजिए,
कलाई में चूड़ियां पहनकर आराम कीजिए।

सजा-ए-मौत भी थक चुकी है इंतजार करके,
कहती है अब मेरी ही कब्र का इंतजाम कीजिए।

कातिल तो आज भी जिंदा है कल भी रहेंगे ही,
आप तो उनकी ज़िन्दगी का जश्न तमाम कीजिए।

कल आसिफा गई थी आज ट्विंकल जा चुकी है,
आप तो इन जख्मों पर हिन्दू मुसलमान कीजिए।

रोज तो छपती है अख़बार में खबर-ए-बलात्कार,
पढ़कर इसे अगर हो दर्द तो खुलकर बयान कीजिए।

अब मर चुकी है इंसानियत आज के इंसानों में,
ऐ राही! इंसानों का नाम अब हैवान कीजिए। #justicefortwinkle 
#hangstheculprits 😤😤😤
ग़ज़ल: #JusticeForTwinkle
काम नहीं होता गर तो एक काम कीजिए,
कलाई में चूड़ियां पहनकर आराम कीजिए।

सजा-ए-मौत भी थक चुकी है इंतजार करके,
कहती है अब मेरी ही कब्र का इंतजाम कीजिए।

कातिल तो आज भी जिंदा है कल भी रहेंगे ही,
आप तो उनकी ज़िन्दगी का जश्न तमाम कीजिए।

कल आसिफा गई थी आज ट्विंकल जा चुकी है,
आप तो इन जख्मों पर हिन्दू मुसलमान कीजिए।

रोज तो छपती है अख़बार में खबर-ए-बलात्कार,
पढ़कर इसे अगर हो दर्द तो खुलकर बयान कीजिए।

अब मर चुकी है इंसानियत आज के इंसानों में,
ऐ राही! इंसानों का नाम अब हैवान कीजिए। #justicefortwinkle 
#hangstheculprits 😤😤😤