बीत गया अनूठा बचपन,छोड़ गया सिर्फ खट्ठी मिट्ठी यादें। जीवनभर हिल मिल के रहने के,यारों ने किए थे बड़े वादे। कुछ बिछड़ गए,कुछ गुजर गए,शेष बचे थे जो मुकर गए। उतर न सके कोई खरे कसौटी पर,नज़र से सारे उतर गए। यादों के जादुई नूर से हृदय का कोई कोना न अछूता रहा। जीवन की गहराई में डूबकर,खुशियों से मन भिगोता रहा। हृदय की पिपासा मिटाने की यादों के अश्रुजल पीता रहा। रह गया ज़िन्दगी में तन्हां,सिर्फ यादों के सहारे जीता रहा। JP lodhi 19/02/2022 ©J P Lodhi. #yaadein #Nojotowriterprompt