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कहीं दूर से मुझे देख रहा था, मुख था मेरे जैसे, स्व

कहीं दूर से मुझे देख रहा था, मुख था मेरे जैसे, स्वर था मेरा, फिर भी वह था कुछ नटखट अलबेला। समय की आंखो में ढक रहा था, स्वप्न था मेरा, सप्तरंगी पल था मेरा, जैसे संग मेरे वह पनखट पे खेला। छाया उसकी काया उसकी, जैसे मेरा दर्पण, था वह मेरा कुन्दन,मेरा स्वर्ण कंगन। स्पर्श कर जिसे मुस्काती गुनगुनाती चंचल किरन, था हवा का झोंका  चंचल  मेरा  बचपन ।।

©Rimjhim's World
  #standAlone #nojotohindi #nojotoqutes मेरा बचपन ।।🥰🎀🎀🎀🎀🌹🌹🌹🌹

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