मैं दिखता हूँ जैसा मैं वैसा नहीं हूँ, अग़रचे मैं दिल का बुरा आदमी हूँ। स्वीकार मुझको हैं सब अपनी भूलें, मैं आईने से नज़रें चुराता नहीं हूँ। कई रंग बेशक़ समाए हैं मुझमें; मेरी सादगी के जैसा मैं सादा नहीं हूँ। साफ़गोई है इतनी अदाओं में मेरी; आईने की पकड़ में भी आता नहीं हूँ। मुझको समझना इतना आसाँ नहीं है; जितना दिखता हूँ मैं सिर्फ उतना नहीं हूँ। कोई और मुझको जाने तो कैसे; मैं खुद से भी ज्यादा मिलता नहीं हूँ। कभी फूल लेकर मिलने तुम आना; सिर्फ काँटों भरा मैं रस्ता नहीं हूँ। मैं दुःख अपने ऐसे ही पीता रहा हूँ; मैं रोता हुआ सबको दिखता नहीं हूँ। उम्मीदें हैं बेहतर नया साल आये; मैं दुःख गुज़रे कल का मनाता नहीं हूँ। #साफ़गोई #yqbaba #yqdidi #yqghazal