*अब हाथ जोड़कर क्यों कहती हो कि बखेड़ा ना करो* *रंजिशे हैं अगर है मुझसे कोई तो खुलकर गिला करो।* *मेरी फितरत ऐसी है कि मैं फिर भी हँस कर मिलूंगा* *मैंने पहले ही कहा था कि मैं शाह हूँ मुझे छेड़ा ना करो।* *सियासत में एक दुकान है सबकी अपनी अपनी* *सियासत करनी है तो शाह की तरह किया करो।* *Amit shah in west bengal* *|('}_* *|(_/\\__G@ur@v ______✍🥀* *🌚!! शुभ रात्रि !!🌚* *🚩!! जय सियाराम !!🚩* ©गौरव दीक्षित(लव) #amitshah