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मैं घास हूँ मैं आपके हर किए धरे पर उग आऊंगा चाहे ब

मैं घास हूँ
मैं आपके हर किए धरे
पर उग आऊंगा
चाहे बम फेंक दो
विश्वविद्यालयों पर
बना दो होस्टलों को मलबे का ढेर
चाहे सुहागा फिरा दो
हमारी झोपड़ियों पर 
मेरा क्या करोगे? 
मैं तो घास हूँ 
हर चीज पर उग आऊंगा #inqalabipoetry
मैं घास हूँ
मैं आपके हर किए धरे
पर उग आऊंगा
चाहे बम फेंक दो
विश्वविद्यालयों पर
बना दो होस्टलों को मलबे का ढेर
चाहे सुहागा फिरा दो
हमारी झोपड़ियों पर 
मेरा क्या करोगे? 
मैं तो घास हूँ 
हर चीज पर उग आऊंगा #inqalabipoetry