न जाने मन में करता होगा कितनी गुफ्तगू , अभागा पसरे बैठा कब से मौन... #cinemagraph एक खामोशी है सुनती है कहा करती है ना ये बुझती है ना रुकती है ना ठहरी है कहीं नूर की बूंद है सदियों से बहा करती है(गीत) #कुछयूँही