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छत्रपति शिवाजी के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी महिमा

छत्रपति शिवाजी के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी महिमा का रितिकाल के कवि भूषण द्वारा ब्रज भाषा में विभिन्न अलंकारों एवम् वीर रस से युक्त अत्यंत मनमोहक सुंदर चित्रण पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। यह पढ़ने के दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसा साक्षात् महाराज छत्रपति शिवाजी का दर्शन हो रहा हो। यह पौराणिक काव्य शैली आधुनिक हिप होप संगीत शैली (रेप सॉन्ग्स) से काफी मिलती जुलती है और ये बेहद ही खूबसूरत अनुभूति है। और भुषण के इन छंदो को महाराष्ट्र में ठोल ताशे बजाकर बड़ी मस्ती में और बहुत ऊर्जा के साथ गाया जाता है।

(Caption me puri Kavita padhe) इन्द्र जिमि जंभ पर , वाडव सुअंभ पर ।
रावन सदंभ पर , रघुकुल राज है ॥१॥
पौन बरिबाह पर , संभु रतिनाह पर ।
ज्यों सहसबाह पर , राम व्दि‍जराज है ॥२॥
दावा द्रुमदंड पर , चीता मृगझुंड पर ।
भूषण वितुण्ड पर , जैसे मृगराज है ॥३॥
तेजतम अंस पर , कान्ह जिमि कंस पर ।
त्यों म्लेच्छ बंस पर , शेर सिवराज है ॥४॥
छत्रपति शिवाजी के जन्म दिवस के अवसर पर उनकी महिमा का रितिकाल के कवि भूषण द्वारा ब्रज भाषा में विभिन्न अलंकारों एवम् वीर रस से युक्त अत्यंत मनमोहक सुंदर चित्रण पढ़ने का अवसर प्राप्त हुआ। यह पढ़ने के दौरान ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसा साक्षात् महाराज छत्रपति शिवाजी का दर्शन हो रहा हो। यह पौराणिक काव्य शैली आधुनिक हिप होप संगीत शैली (रेप सॉन्ग्स) से काफी मिलती जुलती है और ये बेहद ही खूबसूरत अनुभूति है। और भुषण के इन छंदो को महाराष्ट्र में ठोल ताशे बजाकर बड़ी मस्ती में और बहुत ऊर्जा के साथ गाया जाता है।

(Caption me puri Kavita padhe) इन्द्र जिमि जंभ पर , वाडव सुअंभ पर ।
रावन सदंभ पर , रघुकुल राज है ॥१॥
पौन बरिबाह पर , संभु रतिनाह पर ।
ज्यों सहसबाह पर , राम व्दि‍जराज है ॥२॥
दावा द्रुमदंड पर , चीता मृगझुंड पर ।
भूषण वितुण्ड पर , जैसे मृगराज है ॥३॥
तेजतम अंस पर , कान्ह जिमि कंस पर ।
त्यों म्लेच्छ बंस पर , शेर सिवराज है ॥४॥

इन्द्र जिमि जंभ पर , वाडव सुअंभ पर । रावन सदंभ पर , रघुकुल राज है ॥१॥ पौन बरिबाह पर , संभु रतिनाह पर । ज्यों सहसबाह पर , राम व्दि‍जराज है ॥२॥ दावा द्रुमदंड पर , चीता मृगझुंड पर । भूषण वितुण्ड पर , जैसे मृगराज है ॥३॥ तेजतम अंस पर , कान्ह जिमि कंस पर । त्यों म्लेच्छ बंस पर , शेर सिवराज है ॥४॥