चार बर्षों तक पसरते सन्नाटे है। अंतिम बर्ष में होता प्रचार है। न्यायालय में कई कानून असंवैधानिक है। सरकार के चलन में वही वैधानिक है। क्या यह भीड़तंत्र है? यह कैसा लोकतंत्र है। अभिव्यक्ति की आजादी से ज्यादा जहाँ , आतंरिक सुरक्षा का सवाल है। जहाँ पर्यटन के नाम पर मंदिरों का नव निर्माण है। क्या यह धर्मतंत्र है ? यह कैसा लोकतंत्र है ! ©Prem Kumar #farmersprotest