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चार बर्षों तक पसरते सन्नाटे है। अंतिम बर्ष में हो

चार बर्षों तक पसरते सन्नाटे है। 
अंतिम बर्ष में होता प्रचार है। 
न्यायालय में कई कानून असंवैधानिक है। 
सरकार के चलन में वही वैधानिक है। 
क्या यह भीड़तंत्र है?
यह कैसा लोकतंत्र है। 

अभिव्यक्ति की आजादी से ज्यादा जहाँ ,
आतंरिक सुरक्षा का सवाल है। 
जहाँ पर्यटन के नाम पर मंदिरों का नव निर्माण है। 
क्या यह धर्मतंत्र है ?
यह कैसा लोकतंत्र है !

©Prem Kumar #farmersprotest  Ehtesab Ichu shekhawat M.K.Prenzhania Singer shayari and kavita By Rajesh Rj Pankaj Ojha
चार बर्षों तक पसरते सन्नाटे है। 
अंतिम बर्ष में होता प्रचार है। 
न्यायालय में कई कानून असंवैधानिक है। 
सरकार के चलन में वही वैधानिक है। 
क्या यह भीड़तंत्र है?
यह कैसा लोकतंत्र है। 

अभिव्यक्ति की आजादी से ज्यादा जहाँ ,
आतंरिक सुरक्षा का सवाल है। 
जहाँ पर्यटन के नाम पर मंदिरों का नव निर्माण है। 
क्या यह धर्मतंत्र है ?
यह कैसा लोकतंत्र है !

©Prem Kumar #farmersprotest  Ehtesab Ichu shekhawat M.K.Prenzhania Singer shayari and kavita By Rajesh Rj Pankaj Ojha