मेरी सादगी हुन ग्वार तेनु लगदी आ कदे रानीहार सी मैं तेरी, क्यों हुन बोल कोड़े बोल्दा ए कदे खंण्ड मिश्री सी मैं तेरी, हुन मैनु ज़िन्दगी चों जान लई केन्हा है कदे जान ही सी "सुमन" तेरी, मेरी सादगी अब तुझे ग्वार लगती है कभी रानीहार हुया करती थी मैं तेरी, अब कड़वे बोल बोलते हो मुझे कभी मिशरी हुया करती थी मैं तेरी, ज़िन्दगी से चले जाने को कहते हो अब कभी ज़िन्दगी ही हुया करती थी सुमन तेरी,