दुनिया मुखौटो के बाजार में रोज चेहरा बदलने लगा है इंसान। सामने कुछ ओर है, तो पीठ पीछे बनने लगा है हैवान।। प्रशंसा कभी की नहीं जाती, अनायास ही हो जाती है, सोचकर जो की जाएं, वो शब्दों के जाल में खो जाती है। प्रशंसा करने को भी इंसान समझने लगा है दान। मुखौटो के बाजार में............ घर से बनावट ओढ़कर, आएं दिखाने वो अपना ढंग, जैसी सुरत हो सामने, वैसा ही बदलता जाएं अपना रंग। बनावटी बातों को सुनकर गिरगिट भी बंद करने लगा है कान। मुखौटो के बाजार में.............. खुद के लिए ही जो जीएं यहाँ, वो कभी ना इंसान कहलाएं, भाँति-भाँति के रूप बदलकर जहाँ में अपना काम बनवाएं। रूप बदलकर नाम कमाने को ही, समझने लगा है शान। मुखौटो के बाजार में............ हो जाएं मन पवित्र सबका, मिल जाएं ऐसा साबुन कहीं, आलोचना जो मुख पर करे, है जहाँ में सुधारवादी वहीं। सहन हो आलोचना, तो आलोचक भी करने लगा है गान। मुखौटो के बाजार में................. #rsmalwar मित्रता दिवस पर विशेष मित्र बनाने में सावधानी जरूरी है, अन्यथा परिणाम कुछ भी हो सकता है। दुनिया मुखौटो के बाजार में रोज चेहरा बदलने लगा है इंसान। सामने कुछ ओर है, तो पीठ पीछे बनने लगा है हैवान।।