"चलो कह दी तुमनें अब मान भी जाओ अब ना कहेंगे औरों सी यूं रूठ़ नां जाओ" तुम यूं भीं बयां करोगे कि सोचा नां था इतना कुछ समेटा.. यूं समझाना था नां तोल ख़ुद को उनसे.... कुछ तो ख़ास सभीं में होता है हमनें कब कहा कुछ बदलाव जरूरी होता है अब ना कहेंगे औरों सी यूं रूठ़ नां जाओ..