खोया हूँ मैं इस क़दर, खुद मे ही जैसे मय में ,डूबा हुआ हो गम कोई भूल जाने की कोशिशें ,दम भरती है इस सफ़र को क्यों,मुक़्क़म्मल मंज़िल नहीं खोया हूँ मैं इस क़दर खुद में ही के ,ज़िंदगी भी ढूंढें ...ज़िंदगी कहीं #Main_akeli #पारस #ज़िन्दगी #तनहाइयाँ#मय