ढलता सूरज अक्सर जलता नही, दरिया का पानी जाने क्यों उबलता नही, खुशी के रास्तो से तू गुज़रता अक्सर है, लेकिन अपने आप मे तू आज कल ना जाने क्यों, चेहैकता नही। #चेहैकता_नही