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कोचिंग वाला लड़का भाग 2 ******************* उस लड़क


कोचिंग वाला लड़का भाग 2
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उस लड़के के सारे अधिकार मात्र अपनी पढ़ाई में फ़ोकस तक ही सीमित थे,  लेक़िन उम्र का पड़ाव कुछ और ही चाहता है वैसे भी कहा जाता है कि 15वीं साल से लड़को औऱ लड़कियों में शारीरिक बदलाव शुरू हो जाते हैं विज्ञान की भाषा में कहें तो हार्मोन्स में उबाल शुरू हो जाता है औऱ ये उबाल अक़्सर लड़कों लड़कियों को उग्र बना देता है फ़िर  16-17वी साल का पड़ाव जीवन में एक ऐसा पड़ाव होता है जहाँ किसी भी लड़के लड़की की ज़िंदगी में विषयों की केमिस्ट्री के अलावा वास्तविक जीवन की केमिस्ट्री के विचार भी उमड़ने लगते हैं, इस उम्र में लड़के लड़की भविष्य के स्वप्न महल बुनना शुरू कर देते हैं भविष्य में नौकरी से लेकर जीवनसाथी तक के स्वप्न इन कोचिंग औऱ कॉलेगों में खोजने शुरू हो जाते हैं वैसे भी कोचिंग संस्थान औऱ कॉलेज तो 17वीं साल में जीवन की दशा औऱ दिशा को बदलने में अग्रिम भूमिका निभाते हैं ये वो दुनियां होते हैं जहाँ लड़के लड़कियां अनगिनत स्वप्न बनाते हैं, जहाँ भविष्य की नोकरी से लेकर जीवनसाथी तक मन ही मन चुन लिए जाते हैं।

तो पूरी ग़लती उस लड़के की भी नही थी आधा कसूर तो उम्र का भी था, उस ख़ास शख्स की नज़रों में छाने के लिए लड़के ने उस ख़ास शख़्स को पढ़ाई में अपना प्रतिद्वंद्वी मान लिया क्योंकि लड़के को लगता था कि वो पढ़ाई में अपनी कोचिंग में अव्वल रहेगा तो उस शख़्स की उस लड़के पर नज़र जरूर पड़ेगी औऱ शायद यह मानना ग़लत भी नही था क्योंकि हमारे समाज ने जो चित्र बनाया है उसमें होशियार छात्रों को सभी सम्मान के जानते हैं, वह लड़का अपनी उस केमिस्ट्री की कोचिंग में अब्बल तो रहना चाहता था लेकिन हमेशा दूसरे स्थान पर क्योंकि प्रथम स्थान पर तो वो लड़का हमेशा ही अपने उस ख़ास शख़्स को रखना चाहता था। 
समय बीतता गया हफ़्ते दर हफ़्ते, महीने दर महीने, कोर्स भी आगे बढ़ रहा था बाकि सारि क्लास भी लेकिन वो लड़का कहीं अटक कर रह गया किसी पंक्षी की तरह, जैसे किसी शिकारी के बिछाये जाल में फसा हुआ पक्षी बाहर निकलने की लाख कोशिशों के बाबजूद भी वो जाल से निकल नही पाता उसी तरह वो लड़का अपने ही ख्वाबों में बनायी हुई उस दुनियां में फंसकर रह जाता है जहाँ वो लड़का एक शिल्पकार की तरह उस ख़ास शख़्स की मूरत को एकटक निहारता हुआ दुनियाँ भूल गया हो।
देखते ही देखते पूरी साल निकल गयी, वो लड़का जो किसी से डरता नही था लेकिन उस ख़ास शख़्स से बात करने की भी हिम्मत नही जुटा पाया, वह कुछ सोचता फिर रह जाता सिलसिला यूँहीं चलता रहा औऱ कोर्स कम्पलीट हो गया एग्जाम हो गये कोचिंग छूट गयी।
लेक़िन उस लड़के की उस ख़ास शख़्स को देखने औऱ बात करने की उम्मीद नही छुटी, क्योंकि उम्मीदों पर ही सारे संसार की खुशियां टिकी हैं औऱ उन्ही खुशियों में से एक ख़ुशी उस लड़के के लिए उस शख़्स के साथ टिकी थी........

©Ashok
  #कोचिंग वाला लड़का 2
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Ashok

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