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White लिखूं मैं कितना भी कम पड़ जाता है! मेरी हर आ

White लिखूं मैं कितना भी
कम पड़ जाता है!
मेरी हर आंधी तूफान 
से पहले वो टकरा जाता है!
हो गर बात मेरी खुशी की,
अपनी को ताक पर रख जाता है!
कपड़े मेरे अच्छे,
खुदके भूल जाता है!
मुझमे देखता है खुदको,
खुदको मुझमें खुश करता है!
आइना नहीं उसके पास,
खुदको मुझमें देखता है!
पिता है वो,
दुनिया से नहीं,
खुदको 
मुझमें जीताता है।
.

©Dr. Giridhar Kumar
  क्या लिखूं मैं उनपर,
जब स्याही भी खत्म हो जाए,
और शब्द भी!

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क्या लिखूं मैं उनपर, जब स्याही भी खत्म हो जाए, और शब्द भी! fathers_day Nojoto nojotohindi father poetry कविता

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