श्रद्धा मन में हो अगर, तो नहीं रहता अभिमान। तन-मन को पवित्र कर दे, तुम कर लो कुंभ स्नान। सिर्फ परंपरा नही है ये, ये है आस्था की पहचान। धर्म है तो,आस्था भी है, आस्था है, तो है भगवान। कर्म करो और धर्म करो, करो प्रभु का गुणगान। बारह बरस में आता है, तुम कर लो कुंभ स्नान।। ©Mahar Hindi Shayar #माहर_हिंदीशायर #कुंभ #महाकुंभ #MahaKumbh2021