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मुद्दत से सूनी थी दिल की दहलीज़ अब जो सुन पाई वो दस

मुद्दत से सूनी थी दिल की दहलीज़
अब जो सुन पाई वो दस्तक तुम हो।

चाहत में नाकामयाबी ही मिली मुझे 
अब जो मिली है वो शफ़क़त तुम हो।

जो अब तक मेरे सिर्फ़ ख़्वाब में थी 
अब जाके रूबरू हुई हक़ीक़त तुम हो।

रब का शुक्रिया जितना भी करूँ कम ही है
अता की मुझे सबसे बेशक़ीमती नेमत तुम हो।

अब नहीं और मुझे शान ओ शौक़त की चाह
मेरी शान मेरी पहचान मेरा शौक़त तुम हो।

सब था मेरे पास फिर भी मैं मुफ़लिस ही थी
अब मुझसा रईस कोई नहीं मेरी बरक़त तुम हो। ♥️ Challenge-680 #collabwithकोराकाग़ज़ 

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) 

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। 

♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।
मुद्दत से सूनी थी दिल की दहलीज़
अब जो सुन पाई वो दस्तक तुम हो।

चाहत में नाकामयाबी ही मिली मुझे 
अब जो मिली है वो शफ़क़त तुम हो।

जो अब तक मेरे सिर्फ़ ख़्वाब में थी 
अब जाके रूबरू हुई हक़ीक़त तुम हो।

रब का शुक्रिया जितना भी करूँ कम ही है
अता की मुझे सबसे बेशक़ीमती नेमत तुम हो।

अब नहीं और मुझे शान ओ शौक़त की चाह
मेरी शान मेरी पहचान मेरा शौक़त तुम हो।

सब था मेरे पास फिर भी मैं मुफ़लिस ही थी
अब मुझसा रईस कोई नहीं मेरी बरक़त तुम हो। ♥️ Challenge-680 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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anitasaini9794

Anita Saini

Bronze Star
New Creator
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