#OpenPoetry ना मुकम्मल आसमां मिलेगी..ना रोशन ये गरीबखाना मिलेगा .. छोड़ जाने पर हमें कब तुम्हे फिर ये ज़माना मिलेगा.. होगे ख़ुद खुश पल दो पल दुनिया की तारीफें सुनकर... ज़िंदादिल है हम...मयखाने में कब कभी हम सा पैमाना मिलेगा..? गरीबखाना