ज़िन्दगी तूँ ठहर जा इस दुनिया की भागम-भाग में एक-दूसरे को पीछे करने की आग में।। ज़िन्दगी तूँ ठहर जा ये तो सिर्फ भेड़-चाल हैं किसी एक की मेहनत और बाकि सब का बवाल हैं।। ज़िन्दगी तूँ ठहर जा तूँ सहम जा यही कही तूँ थम जा अब थोड़ा सा एकांत में।। ज़िन्दगी तूँ ठहर जा चल अब तूँ ही बता क्या सही हैं यूँ भागते रहना क्या तेरा इतना छोटा मुकाम हैं।। ज़िन्दगी तूँ ठहर जा कभी तूँ भी सोच ,क्या तेरा हाल है कहा गए तेरे वो भावी सपने जिनके लिए तूँ इतना बेहाल हैं।। ज़िन्दगी तूँ ठहर जा रुक थोड़ा यही थम जा कर ले अब गहन विचार तूँ भी अपने सपनों पर फ़िर से उठ और निकल जा अपने जगमगाते लक्ष्य पर।। © विरल M लाड़ (KIरMन) #ज़िन्दगी_तूँ तहर_जा