टूटे हुए शीशे की तरह हूं कहीं ना कहीं अटकी पड़ी हूं कहीं गमगीन हूं तो कहीं खुद से खींची हुई हूं और कहीं अंतर्मन से सुंदर हूं तो कहीं देखने दिखाने लायक नहीं हूं फिर भी कहीं ना कहीं संभली पढ़ी हूं लेकिन मुझे पढ़ना जरूर एक साफ-सुथरे लिवाज और सादे कागज़ की तरह सादगी से भरी हूं........🤗🤗 Aarvi😊 Vikku prajapati🤗🤗 कभी फुर्सत मिले तो मुझे पढ़ना जरूर है मेरे दोस्तों .....