जो अपने आप , आकार पाती है। विश्व मे सबका , स्वीकार पाती है। लफ्ज़ ज़ेहन मे, ख़ुद-ब-ख़ुद ,नमूदार होते हैं, शायरी इस तरह , ग़ुलो-ख़ार पाती है। मोहब्बत मे जब , विशाले-यार होता है, ग़ज़ल अपना , नामदार पाती है । शेरो-सुख़न और इश्क़ मे, फर्क नहीं है, दोनो इक दूसरे मे अपना , रहगुज़ार पाती है। इश्क़े-ग़ुलिस्ताँ मे ही, शायरी के फूल खिलते हैं, इश्क़े-चमन मे , शायरी निखार लाती है। OPEN FOR COLLAB✨ #ATइश्क़वोशायरी • A Challenge by Aesthetic Thoughts ✨ Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.