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सुनो कामरेड, बदले वक्त के साथ बहुत कुछ बदला, मगर

सुनो कामरेड, 
बदले वक्त के साथ बहुत कुछ बदला, मगर ना जाने क्यूँ मुझे तेरा बदलना अखरता है। अक्सर ऐसा ही होता है। हम जिस से भी लगाव रखते है या जिससे प्रेम करते है। तो हम उसको उसी रूप में देखना चाहते है जिस रूप में हमे उस से लगाव या प्रेम हुआ था। तभी तो बदलता हुआ, हमारे बचपन का शहर, इसकी गलिया और सड़के हमे पुराने दिनों की यादें दिलाती है। उन दिनों की, जब हम किसी का हाथ थामे इन के दरमियाँ होकर गुजर थे । ये सड़के और गलियाँ भी वक्त के साथ खुद को बदलती है। इनके हर बार बदलने में दफन हो जाती है एक प्रेम कहानी, जो इन के साये में पनपी थी। पर ना तो हमारे बीच प्रेम था। न ही कोई कहानी, हमारे बीच तो एक वादा था। कभी एक दूसरे को ना भूलने का, संघर्ष और हर्ष में एक दूसरे का साथ निभाने का, फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे अखरता है, तुम्हारा बदलना,पर तुम्हे हक है बदलने का और आगे बडने का,पर एक ख्वाहिश है कि तुम खुद को खूब बदलना, पर उस बदलाव में मुझे अपनी जिंदगी का अवशेष ही बना के रखना,
अधिशेष नहीं, क्युकी मैं चाहता हूँ कि में तुम्हारे जीवन का अवशेष ही बन कर रहूँ, क्युकी अवशेष किसी का विघटित हिस्सा होता है और अधिशेष किसी के पूर्ण होने के बाद उसका बचा हुआ भाग, 
मैं ,तुम में बनने के बाद जुड़ कर ,खुद को इस समाज से रूबरू कराना चाहता हूँ, उम्मीद है ,फिर ,हम साथ बदलेंगे और फिर हम में से किसी को अखरेगा नही, किसी दूसरे का बदलना, सुनो मैं नही कहता तुम मेरे साथ रहो पर हाँ इतनी दूर भी मत जाना कि तुम मेरे दर्द को भी ना पढ़ सको, वैसे सुना है  हिंदी कमजोर है तुम्हारी 🤣 मगर तुम कोशिश करना, मैं दिखने में जटिल हूँ, पढ़ने में बिल्कुल सरल हूँ,अगर तुम भिन्न भिन्न भाँति की पात्र हो तो, मैं तुम सा ढलने वाला तरल हूँ,..... 
.... #जलज राठौर सुनो कामरेड, 
बदले वक्त के साथ बहुत कुछ बदला, मगर ना जाने क्यूँ मुझे तेरा बदलना अखरता है। अक्सर ऐसा ही होता है। हम जिस से भी लगाव रखते है या जिससे प्रेम करते है। तो हम उसको उसी रूप में देखना चाहते है जिस रूप में हमे उस से लगाव या प्रेम हुआ था। तभी तो बदलता हुआ, हमारे बचपन का शहर, इसकी गलिया और सड़के हमे पुराने दिनों की यादें दिलाती है। उन दिनों की, जब हम किसी का हाथ थामे इन के दरमियाँ होकर गुजर थे । ये सड़के और गलियाँ भी वक्त के साथ खुद को बदलती है। इनके हर बार बदलने में दफन हो जाती है एक प्रेम कहानी, जो इन के साये में पनपी थी। पर ना तो हमारे बीच प्रेम था। न ही कोई कहानी, हमारे बीच तो एक वादा था। कभी एक दूसरे को ना भूलने का, संघर्ष और हर्ष में एक दूसरे का साथ निभाने का, फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे अखरता है, तुम्हारा बदलना,पर तुम्हे हक है बदलने का और आगे बडने का,पर एक ख्वाहिश है कि तुम खुद को खूब बदलना, पर उस बदलाव में मुझे अपनी जिंदगी का अवशेष ही बना के रखना,
अधिशेष नहीं, क्युकी मैं चाहता हूँ कि में तुम्हारे जीवन का अवशेष ही बन कर रहूँ, क्युकी अवशेष किसी का विघटित हिस्सा होता है और अधिशेष किसी के पूर्ण होने के बाद उसका बचा हुआ भाग, 
मैं ,तुम में बनने के बाद जुड़ कर ,खुद को इस समाज से रूबरू कराना चाहता हूँ, उम्मीद है ,फिर ,हम साथ बदलेंगे और फिर हम में से किसी को अखरेगा नही, किसी दूसरे का बदलना, सुनो मैं नही कहता तुम मेरे साथ रहो पर हाँ इतनी दूर भी मत जाना कि तुम मेरे दर्द को भी ना पढ़ सको, वैसे सुना है  हिंदी कमजोर है तुम्हारी 🤣 मगर तुम कोशिश करना, मैं दिखने में जटिल हूँ, पढ़ने में बिल्कुल सरल हूँ,अगर तुम भिन्न भिन्न भाँति की पात्र हो तो, मैं तुम सा ढलने वाला तरल हूँ,..... 
.... #जलज राठौर
सुनो कामरेड, 
बदले वक्त के साथ बहुत कुछ बदला, मगर ना जाने क्यूँ मुझे तेरा बदलना अखरता है। अक्सर ऐसा ही होता है। हम जिस से भी लगाव रखते है या जिससे प्रेम करते है। तो हम उसको उसी रूप में देखना चाहते है जिस रूप में हमे उस से लगाव या प्रेम हुआ था। तभी तो बदलता हुआ, हमारे बचपन का शहर, इसकी गलिया और सड़के हमे पुराने दिनों की यादें दिलाती है। उन दिनों की, जब हम किसी का हाथ थामे इन के दरमियाँ होकर गुजर थे । ये सड़के और गलियाँ भी वक्त के साथ खुद को बदलती है। इनके हर बार बदलने में दफन हो जाती है एक प्रेम कहानी, जो इन के साये में पनपी थी। पर ना तो हमारे बीच प्रेम था। न ही कोई कहानी, हमारे बीच तो एक वादा था। कभी एक दूसरे को ना भूलने का, संघर्ष और हर्ष में एक दूसरे का साथ निभाने का, फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे अखरता है, तुम्हारा बदलना,पर तुम्हे हक है बदलने का और आगे बडने का,पर एक ख्वाहिश है कि तुम खुद को खूब बदलना, पर उस बदलाव में मुझे अपनी जिंदगी का अवशेष ही बना के रखना,
अधिशेष नहीं, क्युकी मैं चाहता हूँ कि में तुम्हारे जीवन का अवशेष ही बन कर रहूँ, क्युकी अवशेष किसी का विघटित हिस्सा होता है और अधिशेष किसी के पूर्ण होने के बाद उसका बचा हुआ भाग, 
मैं ,तुम में बनने के बाद जुड़ कर ,खुद को इस समाज से रूबरू कराना चाहता हूँ, उम्मीद है ,फिर ,हम साथ बदलेंगे और फिर हम में से किसी को अखरेगा नही, किसी दूसरे का बदलना, सुनो मैं नही कहता तुम मेरे साथ रहो पर हाँ इतनी दूर भी मत जाना कि तुम मेरे दर्द को भी ना पढ़ सको, वैसे सुना है  हिंदी कमजोर है तुम्हारी 🤣 मगर तुम कोशिश करना, मैं दिखने में जटिल हूँ, पढ़ने में बिल्कुल सरल हूँ,अगर तुम भिन्न भिन्न भाँति की पात्र हो तो, मैं तुम सा ढलने वाला तरल हूँ,..... 
.... #जलज राठौर सुनो कामरेड, 
बदले वक्त के साथ बहुत कुछ बदला, मगर ना जाने क्यूँ मुझे तेरा बदलना अखरता है। अक्सर ऐसा ही होता है। हम जिस से भी लगाव रखते है या जिससे प्रेम करते है। तो हम उसको उसी रूप में देखना चाहते है जिस रूप में हमे उस से लगाव या प्रेम हुआ था। तभी तो बदलता हुआ, हमारे बचपन का शहर, इसकी गलिया और सड़के हमे पुराने दिनों की यादें दिलाती है। उन दिनों की, जब हम किसी का हाथ थामे इन के दरमियाँ होकर गुजर थे । ये सड़के और गलियाँ भी वक्त के साथ खुद को बदलती है। इनके हर बार बदलने में दफन हो जाती है एक प्रेम कहानी, जो इन के साये में पनपी थी। पर ना तो हमारे बीच प्रेम था। न ही कोई कहानी, हमारे बीच तो एक वादा था। कभी एक दूसरे को ना भूलने का, संघर्ष और हर्ष में एक दूसरे का साथ निभाने का, फिर भी ना जाने क्यूँ मुझे अखरता है, तुम्हारा बदलना,पर तुम्हे हक है बदलने का और आगे बडने का,पर एक ख्वाहिश है कि तुम खुद को खूब बदलना, पर उस बदलाव में मुझे अपनी जिंदगी का अवशेष ही बना के रखना,
अधिशेष नहीं, क्युकी मैं चाहता हूँ कि में तुम्हारे जीवन का अवशेष ही बन कर रहूँ, क्युकी अवशेष किसी का विघटित हिस्सा होता है और अधिशेष किसी के पूर्ण होने के बाद उसका बचा हुआ भाग, 
मैं ,तुम में बनने के बाद जुड़ कर ,खुद को इस समाज से रूबरू कराना चाहता हूँ, उम्मीद है ,फिर ,हम साथ बदलेंगे और फिर हम में से किसी को अखरेगा नही, किसी दूसरे का बदलना, सुनो मैं नही कहता तुम मेरे साथ रहो पर हाँ इतनी दूर भी मत जाना कि तुम मेरे दर्द को भी ना पढ़ सको, वैसे सुना है  हिंदी कमजोर है तुम्हारी 🤣 मगर तुम कोशिश करना, मैं दिखने में जटिल हूँ, पढ़ने में बिल्कुल सरल हूँ,अगर तुम भिन्न भिन्न भाँति की पात्र हो तो, मैं तुम सा ढलने वाला तरल हूँ,..... 
.... #जलज राठौर