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मुझे काम करने दो बाबू अपनी पेहचान बनाने दो बाबू ब

मुझे काम करने दो बाबू 
अपनी पेहचान बनाने दो बाबू
बेटियों को तो वैसे भी ,घर से निकलने नहीं देते 
अब तो मुझे जीने दो बाबू  कई बार कार्यालय में लड़कियों के साथ बदतमीजीयाँ होती है। घर से तो लड़ कर बाहर आ जाती है ।लेकिन वहाँ वो हार जाती है । उसे घर की उसी चारदीवारी में वापस आना पड़ता है शायद वो लड़की भी हार जाती हैं। 
कमाल की बात ये है कि उस नीच, छिछोरा घटिया इंसान को कभी अपनी गलती का ना एहसास होता है ना ही पछतावा होता है । 

Maffi chahege kuchh galat bole ya galat sabdo ka paryog kiye ho too 🙏🙏
मुझे काम करने दो बाबू 
अपनी पेहचान बनाने दो बाबू
बेटियों को तो वैसे भी ,घर से निकलने नहीं देते 
अब तो मुझे जीने दो बाबू  कई बार कार्यालय में लड़कियों के साथ बदतमीजीयाँ होती है। घर से तो लड़ कर बाहर आ जाती है ।लेकिन वहाँ वो हार जाती है । उसे घर की उसी चारदीवारी में वापस आना पड़ता है शायद वो लड़की भी हार जाती हैं। 
कमाल की बात ये है कि उस नीच, छिछोरा घटिया इंसान को कभी अपनी गलती का ना एहसास होता है ना ही पछतावा होता है । 

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swetakumari9595

Sweta

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