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मेरे खुद की लिखी कविता हमने आंखों के पानी में खा

मेरे खुद की लिखी कविता


हमने आंखों के पानी में खारे सागर देखें हैं |
और गरीबों के कंधों पर पूरे भाकर देखें हैं||
कोई भूखी अंतड़ियों की चीखे संसद तक पहुंचा दो |
आज सवेरे सड़क किनारे भूखे टाबर देखें हैं ||
राजनीति की भाषा हमको समझ नहीं आती है पर |
भाषण से ही भूख मिटाने वाले जादूगर देखें हैं Kalavati Kumari Kusumlata Payal Singh
मेरे खुद की लिखी कविता


हमने आंखों के पानी में खारे सागर देखें हैं |
और गरीबों के कंधों पर पूरे भाकर देखें हैं||
कोई भूखी अंतड़ियों की चीखे संसद तक पहुंचा दो |
आज सवेरे सड़क किनारे भूखे टाबर देखें हैं ||
राजनीति की भाषा हमको समझ नहीं आती है पर |
भाषण से ही भूख मिटाने वाले जादूगर देखें हैं Kalavati Kumari Kusumlata Payal Singh