खामोशियों_के_तरन्नुम_जब_गुदगुदाते_हैं_मेरे_कानों_में।
यादों की सदायें सुनाई पड़ती हैं मुझे आज़ानों में।।
इधर उधर न जाने किधर से आ के मिल जाते हैं,
वो किसी रहनुमा के सुनाए गए अफसानों में।।
छोड़ चले जाते हैं जब सभी अपने दर-ओ-दीवारों को,
तब घर ,घर नहीं रह जाते,बदल जाते हैं मकानों में।। #Life#Love#हिंदी#कविता#foryou#Uशुभ