गीतों में दर्द ढाल कर गाता रहा हूं मैं हर लब पे मुस्कुराहटें लाता रहा हूं मैं~~ कोई हमनशीं मिलेगा तो खोलूंगा राजे दिल ये ऐतबार दिल को दिलाता रहा हूं मैं~~ गीतों में दर्द ढाल कर गाता रहा हूं मैं हर लब पे मुस्कुराहटें लाता रहा हूं मैं~~ ये शबनमी सी शर्म ये मासूम सी अदा पलकों के आसमां पर बिठाता रहा हूं मैं~~ गीतों में दर्द ढाल कर गाता रहा हूं मैं हर लब पे मुस्कुराहटें लाता रहा हूं मैं~~ वो जब मिलेंगे मुझसे तो मैं पेश करूंगा यू किताबों मे गुलाबों को लगाता रहा हूं मै~~ गीतों में दर्द ढाल कर गाता रहा हूं मैं हर लब पे मुस्कुराहटें लाता रहा हूं मैं~~ जब वो मिलेगे तब की फिज़ाओं को सोचकर जज़्बात नये रोज सजाता रहा हूं मैं~~ गीतों में दर्द ढाल के