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#OpenPoetry नफरतों की दरारो का,मंसूबा तोड़ा है। ना

#OpenPoetry नफरतों की दरारो का,मंसूबा तोड़ा है।
नासूर था जबसे,अब दर्द थोड़ा है।।
कोई जहर ए दर्या में, मधुर सा रस घोला है।
हटा तीन सत्तर, 
कटा मां का शीष जोड़ा है।
....jisu jammu & kashmir
#OpenPoetry नफरतों की दरारो का,मंसूबा तोड़ा है।
नासूर था जबसे,अब दर्द थोड़ा है।।
कोई जहर ए दर्या में, मधुर सा रस घोला है।
हटा तीन सत्तर, 
कटा मां का शीष जोड़ा है।
....jisu jammu & kashmir
jisusaif2523

jisu saif

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