उन्मुक्त चंद्र सी चंचल अखियां अखियों में मैं काजल डालूं तेरे अधरों के बादल से इन अंखियों को और सजा लूं तेरे अरमानों की पवन जो धीरे धीरे चमन सहलाए और मुक्त सा चिर यौवन ये अतृप्त धरा को बहलाए #nojotohindi#तुम#अखियां#poetry#Kavita #श्रृंगार