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हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं, कई दफ़ा मेरा व

हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं,  कई दफ़ा मेरा वजूद ही
मुझसे शिकायत करता है
तू जितनी ख़ुश दिखती है
उतनी ही ख़ुश रहती क्यों नहीं
जितना तू हँसती है
सच में उतनी हँसती क्यों नहीं #ज़िन्दगी
हज़ार ख़्वाहिशों का बोझ लिए चलते हैं,  कई दफ़ा मेरा वजूद ही
मुझसे शिकायत करता है
तू जितनी ख़ुश दिखती है
उतनी ही ख़ुश रहती क्यों नहीं
जितना तू हँसती है
सच में उतनी हँसती क्यों नहीं #ज़िन्दगी
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