“आँखों की मासूमियत” श्रृंगार रस अपनी हुस्न की मासूमियत कुछ कम कर दे। वरना मेरी नज़रों को तेरा गुनहगार बनने दे। हर रोज़ खुदा से उलझना कोई बगावत तो नहीं। दिल परेशान है तेरी मासूमियत से कहीं ये बनावट तो नहीं। सिंदूरी शाम तेरी रंगत की याद दिलाती है। तेरी चेहरे की मासूमियत ही मुझे तेरी ओर खींच लाती है। तेरी खूबसूरत अदाओं का दिल कायल हो गया। ना जाने इन कजरारे नैनों से घायल हो गया। भुला बैठे हैं ख़ुद को तेरी मीठी बातों में। खो गया मेरा दिल तेरी मासूम सी निगाहों में। है कशिश आपके चेहरे में एक झलक पाने के लिए मैं पागल। ये तेरी काली घटा ज़ुल्फो का हो गया मैं कायल। #rztask355 #rzलेखकसमूह #restzone #collabwithrestzone #yqdidi #yqrz #rzwriteshindi #unique_upama